भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ NCERT Books Solutions for Class 12 राजनीति विज्ञान - II hindi Medium Chapter -1
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ -विभाजन :विभाजन :
विस्थापन और पुनर्वास :-
वर्ष 1947,(14-45
) अगस्त की आधी रात को ब्रिटिश भारत के एक नहीं बल्कि दो टुकड़े हुए जिन्हें - भारत
और पाकिस्तान कहा जाता है|
मुस्लिम लीग नें दो राष्ट्रों की मांग की जिन्हें -"द्वि-राष्ट्र सिद्धांत" कहा जाता है | अर्थात इस सिद्धांत के अनुसार भारत किसी एक कोम का ना होकर दो क़ौमों का देश है | इस प्रकार मुस्लिम लीग नें मुसलमानों के लिए एक अलग पाकिस्तान की माँग की , और यह हो भी गया | यधपी कांग्रेस नें द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया था |
मुस्लिम लीग नें दो राष्ट्रों की मांग की जिन्हें -"द्वि-राष्ट्र सिद्धांत" कहा जाता है | अर्थात इस सिद्धांत के अनुसार भारत किसी एक कोम का ना होकर दो क़ौमों का देश है | इस प्रकार मुस्लिम लीग नें मुसलमानों के लिए एक अलग पाकिस्तान की माँग की , और यह हो भी गया | यधपी कांग्रेस नें द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का विरोध किया था |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँविभाजन की
प्रक्रिया :-
जिस भाग को
इंडिया कहा जाता था उसके दो भाग कर दिये, जिन्हें भारत और पाकिस्तान कहा जाता है|
लेकिन विभाजन का आधार धार्मिक आधार पर किया गया था |
अर्थात जिन बहुसंख्यक इलाकों में मुस्लिम ज्यादा है उन्हें पाकिस्तान का हिस्सा
माना गया और बाकी को भारत का हिस्सा माना गया –इस प्रकार इस विभाजन में कई
दिक्कतें थी जैसे –
- ऐसा एक भी इलाका नहीं था जहाँ बहुसंख्यक मुस्लिम हो |
- केवल दो इलाकों में यह आबादी ज्यादा थी जो की ब्रिटिश भारत के पूर्वी और पश्चिमी इलाके थे | इस प्रकार पाकिस्तान में पूर्वी पाक और पश्चिमी पाक को माना गया |
- मुस्लिम बहुल हर इलाका पाकिस्तान में जाने को तैयार नहीं थे | ( खान अब्दुल गफ्फार खान – सीमांत गाँधी के नाम से जाने जाते है | जो द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त के खिलाफ थे | )
- मुस्लिम बहुल पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से गैर मुस्लिम थे उन्हें भी प्रशासनिक आधार पर बाँट दिया इसका अधिकतर लोगों को पता ही नहीं की वो पाक का हिस्सा है या भारत का |
- दोनों तरफ के अल्पसंख्यकों की समस्या | जिसका परिणाम हिंसा के रूप में हुआ |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ विभाजन के
परिणाम :-
- 1947 का विभाजन मानव जाति के लिए त्रासदी भरा रहा जिनको निम्नलिखित बिन्दुओं मे देखा जा सकता है |
- दोनों मुल्कों के लिए यह स्थानातरण आकस्मिक,अनियोजित,और त्रासदी भरा था |
- धर्म के नाम पर लोगों का कत्ल किया गया |
- बहुत से इलाके सांप्रदायिक अखाड़े में तब्दील हो गए
- अपने घर बार ,संपति आदि को छोड़ना पड़ा |
- महिलाओं की इज्जत लूटी गई,और मानवता तार-तार होती दिखाई दी|
- जबरदस्ती धर्म परिवर्तन किया गया |
- असंख्य लोग शरणार्थीयों की ज़िंदगी जीने को मजबूर हुए |
- यह बंटवारा केवल दो देशों का नहीं बल्कि दो समुदायों का हुआ |
- बंटवारा संपति,देनदारी या परिसंपतियों का नहीं बल्कि दो दिलों के टुकड़े हुए |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ और महात्मा गाँधी :-
जिस समय देश 15,अगस्त
1947 का जश्न मना रहा था उस समय रष्ट्रपिता महात्मा गाँधी कोलकाता के उन इलाकों में डेरा
डाले थे, जहाँ भयंकर सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गए थे |
हिंसा के कारण बापू को गहरी चोट पहुंची थी |
क्योंकि जिन सिद्धांतो को लेकर जीवन भर कम करते रहे वो ही सिद्धान्त आज हिंसा को
रोक पाने मे असहाय नजर आ रहें है | सत्य,अहिंसा,सत्याग्रह आदि सिद्धान्त हिंसा के आगे बोनें हो गए |
30,जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इस भारत भूमि
को अलविदा कह गए |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ तथा रजवाड़ों का
विलय :- ब्रिटिश इंडिया दो हिस्सों में था –
- ब्रिटिश प्रभुत्व वाले प्रांत –इस पर ब्रिटिश सरकार का सीधा नियंत्रण था |
- देशी रियासतें या रजवाड़े – इसमे राजाओं या नवाबों ने ब्रिटिश सरकार की अधीनता स्वीकार कर राखी थी |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ व विलय की समस्याएँ :-
ब्रिटिश सरकार नें यह घोषणा की थी की भारत के साथ साथ
रियासतें भी आजाद हो जाएगी | लेकिन यह उन रियासतों पर है की वो चाहें तो पाकिस्तान
के साथ या भारत के साथ मिल सकती है या फिर स्वतंत्र अस्तित्व बनाए |
उस समय लगभग 565 देशी रियासतें थी |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ तथा देशी रियासतों की इस चर्चा में तीन बातें आती है –
1.अधिकतर
रजवाड़े भारत संघ में मिलना चाहते है |
2.भारत
सरकार का रुख लचीला होना | अर्थात कुछ स्वायतता देने को तैयार थी –जम्मू-कश्मीर
3.देश
की एकता,संप्रभुता,और अखंडता को
बनाए रखना |
भारतीय राष्ट्र–निर्माण की चुनौतियाँ व भारत के “सहमति पत्र” या “इंस्ट्रूमेंटऑफ एक्सेशन” :-
देशी रियासतों को भारत में विलय की ज़िम्मेदारी सरदार
पटेल को
दी जिसे उन्होनें बखूबी निभाया |अधिकतर रियासतें भारत में अपना
विलय कर चुकी थी | या भारत के “सहमति पत्र” पर हस्ताक्षर कर
दिये | जिसे “इंस्ट्रूमेंटऑफ एक्सेशन” कहा जाता है | लेकिन
जूनागढ़,हैदराबाद,जम्मू-कश्मीर,मणिपुर की रियासतों ने विलय
में आनाकानी की लेकिन सरदार पटेल की दूरदृष्टि सोच ने उनको भी
भारत में विलय पर हस्ताक्षर के लिए टेयर कर लिया |
दी जिसे उन्होनें बखूबी निभाया |अधिकतर रियासतें भारत में अपना
विलय कर चुकी थी | या भारत के “सहमति पत्र” पर हस्ताक्षर कर
दिये | जिसे “इंस्ट्रूमेंटऑफ एक्सेशन” कहा जाता है | लेकिन
जूनागढ़,हैदराबाद,जम्मू-कश्मीर,मणिपुर की रियासतों ने विलय
में आनाकानी की लेकिन सरदार पटेल की दूरदृष्टि सोच ने उनको भी
भारत में विलय पर हस्ताक्षर के लिए टेयर कर लिया |
- हैदराबाद की रियासत –( नवाब -उस्मान आली खान ) सैनिक कार्यवाही के बाद 1948 में भारत में विलय हो गया , नवाब नें आत्मसमर्पण कर दिया |
- मणिपुर की रियासत ( राजा बोधचन्द्र सिंह )-1948 में स्वायतता के आश्वासन के उपरांत सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए | यह भारत का पहला भाग है जहाँ पर सार्वभौम वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाकर चुनाव हुए | इस प्रकार यहाँ संवैधानिक राजतंत्र कायम हुआ |
- जूनागढ़- (नवाब - महाबत खान ) की रियासत में लगभग 80% जनसंख्या हिन्दू थी लेकिन नवाब इसे पाकिस्तान में मिलना चाहता था | लेकिन जनमत संग्रह में 99 % लोगों नें भारत संघ में विलय के लिए हामी भरी उसके बाद इसे भारत का अभिन अंग बना लिया गया |
- जम्मू -कश्मीर के (महाराजा हरी सिंह जी ) भी 1948 में पाक काबाइलियों के हमले को ना झेल पाने के कारण भारत में अपनें विलय को राजी हो गए |
Excellent matter....very very usfull
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