गुटनिरपेक्ष आंदोलन और वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता
प्रश्न :- गुटनिरपेक्ष आंदोलन से आप क्या समझते है| गुटनिरपेक्ष आंदोलन की
वर्तमान में प्रासंगिकता को स्पष्ट कीजिए ?
उत्तर :- गुटनिरपेक्ष आंदोलन का साधारण
मतलब है किसी भी गुट में शामिल ना होना और अपनी स्वतंत्र नीति का पालन करना| गुटनिरपेक्ष आंदोलन तीसरी
दुनियाँ ,विकासशील देशों ,अल्पविकसित देशों आदि के नव-स्वतंत्र
देशों द्वारा स्थापित संगठन है |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
के संस्थापक सदस्य :-
भारत के प्रधानमंत्री
पंडित जवाहरलाल नेहरू , मिश्र के नासिर , युगोस्लाविया के टीटो , इन्डोनेशिया के सुकर्णो , घाना के एनक्रूमा द्वारा इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की गई थी |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
का उद्देश्य :-
इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य
देशों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता
, क्षेत्रीय एकता और अखंडता की सुरक्षा को सुनिश्चित करना तथा
किसी भी महाशक्ति के साथ ना जुड़ना |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
की स्थापना से अब तक की यात्रा :-
1961 में जब इस
आंदोलन की स्थापना हुई थी तब केवल 25 सदस्य देश ( बेलग्रेड ) थे | आज यदि इस गुट की प्रासंगिकता नहीं रहती तो दुनियाँ के 120 देश ( 2012 तक
) इस आंदोलन के सदस्य नहीं होते | अब तक गुटनिरपेक्ष आंदोलन के
17 शिखर सम्मेलन हो चुके है और 18 वां अजरबैजान में 2019 में होगा |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
की नीति अपनाने के कारण :-
- गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों द्वारा अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर |
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हेतु |
- अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त करना |
- स्वतंत्र नीति का पालन करना |
- महाशक्तियों का पिछलगु ना बनना |
- हर तरह के शोषण का विरोध करना
- वैश्विक स्तर पर अपनी स्वतंत्र नीति का पालन व विकास करना |
- अंतर्राष्ट्रीय गतिरोधों को दूर करना |
गुटनिरपेक्ष आंदोलन
की प्रासंगिकता के महत्वपूर्ण बिन्दु
- आज भी यह आंदोलन विकासशील,अर्द्धविकसित ,गरीब राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व करता है|
- इस आंदोलन नें तीसरे युद्ध को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी |
- आज भी यह संगठन सदस्य राष्ट्रों का आर्थिक,सामाजिक,सांस्कृतिक विकास हेतु मार्ग प्रशस्त करता है|
- इस आंदोलन की नि:शस्त्रीकरण में भी भूमिका रही है और आज भी जरूरत है |
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हेतु भी इस आंदोलन की भूमिका है|
- वैश्विक शांति और विकास आपसी सहयोग तथा सहयोग मूलक भूमिका से ही संभव है न कि गुटबाजी द्वारा |
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रमों में भी इस आंदोलन कि भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता और आज भी है |
- विश्व को बहुल संस्कृति में बदलने के लिए भी इस आंदोलन कि भूमिका हो सकती है|
- आज पूरी दुनियाँ आतंकवाद की समस्या से दुखी है इस समस्या का समाधान भी सभी राष्ट्रों कि सामूहिक रणनीति द्वारा मिल सकता है |
- आज भी वैश्विक स्तर पर ढेरों चुनौतियाँ है जिसका समाधान भी आपसी मेलजोल और सामूहिक प्रयासों से प्राप्त कर सकते है |
- वैश्विक स्तर पर कुछ मशक्तियों की दादागिरी और संस्थाओं में सुधार इस आंदोलन से हासिल हो सकते है|
यधपी
इस आंदोलन कि कुछ खामियाँ है जिसे समय पर दुरुस्त करके इस आंदोलन को और अच्छा
बनाया जा सकता है |
परीक्षा उपयोगी सामग्री
ReplyDeleteVery helpful martial sir
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