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- व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए मौलिक अधिकार अतिआवश्यक है, यह मौलिक अधिकार संविधान द्वारा दिए गए है| भारतीय संविधान निर्माताओं ने 7 मौलिक अधिकार दिए थे लेकिन 44 वें संविधान संशोधन द्वारा "संपत्ति के अधिकार" को हटा दिया गया है| वर्तमान में 6 मौलिक अधिकार है |
- 1928 में मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत “नेहरू प्रतिवेदन “ में भारतीयो के लिए मूल अधिकारों की मांग की गई थी |
- 1931 के दूसरे गोलमेज़ सम्मेलन में पुन: मौलिक अधिकार की मांग को दौहराया गया था |
- 1935 केअधिनियम में मौलिक अधिकारों को शामिल नहीं किया गया था |
- 1945 में “तेज बहादुर सप्रू” द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में मौलिक अधिकारो को भारतीय संविधान में सम्मिलित करने की अनुशंसा की गई थी |
- संविधान निर्माण के दौरान “जे.बी.कृपलानी” की अध्यक्षता में “मूल अधिकारों व अल्पसंख्यकों के अधिकारों” पर अनुशंसा करने के लिए एक उप समिति का भी गठन किया था | और इसी समिति की अनुशंसा के आधार पर मौलिक अधिकारों को संविधान का हिस्सा बनाया गया था |
- भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 12 से 30 और 32 से 35 ( कुल 23 अनुच्छेदों में वर्णन ) में मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है |
- भारतीय संविधान के भाग 3 को “भारत का अधिकार पत्र अथवा मेग्नाकार्टा “ कहा जाता है |
- 1215 में ब्रिटेन की जनता ने ब्रिटिश सम्राट जॉन को प्राचीन स्वतंत्रताओं को मान्यता प्रदान करने के लिए ”मेग्नाकार्टा” पर हस्ताक्षर के लिए बाध्य किया था |
- 1689 में ब्रिटिश जनता को “बिल ऑफ राइट्स “ द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्त हुई थी |
- 1789 में फ्रांस के लोगों को अधिकार प्राप्त हुए थे |
- 1791 में अमरीका में पहले 10 संशोधनों द्वारा मौलिक अधिकारों को संविधान का अंग बनाया गया था |
- जर्मनी के वाइमर गणराज्य द्वारा जनता को अधिकार प्रदान किए गए |
भारतीय मौलिक अधिकारों की विशेषताएँ –
- मौलिक अधिकारो का विस्तृत होना |
- मौलिक अधिकार निरपेक्ष नहीं है |
- मौलिक अधिकारों का निलंबन किया जा सकता है |
- मौलिक अधिकारों का नकारात्मक और सकारात्मक अधिकारों के रूप में होना होना |
- मौलिक अधिकारों को सीमित नहीं किया जा सकता |
- मौलिक अधिकार न्यायालय द्वारा अधिकारों की रक्षा |
- राष्ट्रीय आपातकाल में अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते है |
- राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 स्वत: निलंबित हो जाता है | ( अन्य अनुच्छेद राष्ट्रपति के आदेश से होते है )
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15,16,19,19(घ ),29,30 आदि मौलिक अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त अधिकार है यह गैर नागरिकों को प्राप्त नहीं है |
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,20,21,23,24,25,26,27,28, आदि मौलिक अधिकार नागरिक और गैर नागरिक दोनों को प्राप्त अधिकार है |
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15(1),16(2),18(1),20,22(1),28(1)आदि नकारात्मक अभिव्यक्ति वाले मौलिक अधिकार है|
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25, 29(1), 30(1) को सकारात्मक मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा जाता है
मौलिक अधिकारों का वर्गीकरण : एक दृष्टि
( 1 ) समानता का अधिकार ( अनुच्छेद 14-) :-
अनुच्छेद 14 – विधि के समक्ष समानता और विधि का समान संरक्षण |
अनुच्छेद 15 – धर्म,मूलवंश,जाति,जन्म स्थान,लिंग के आधार पर भेदभाव की मनाही |
अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता |
अनुच्छेद 17 – छुआ छूत का अंत |
अनुच्छेद 18 – उपाधियों का अंत |
( 2 ) स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19-22 ) :-
अनुच्छेद 19 – वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का होना |
अनुच्छेद 20 – अपराधों में दौष सिद्धि में संरक्षण प्राप्त होना |
अनुच्छेद 21 – प्राण और देहिक स्वतंत्रता का होना |
अनुच्छेद 22 – कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण होना |
( 3 ) शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23-24 )
अनुच्छेद 23 – मानव के साथ दुर्व्यवहार पर रोक का होना |
अनुच्छेद 24 – 14 साल तक के बालकों का कल कारखानों में निषेध |
( 4 ) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 25 -28 )
अनुच्छेद 25 – धर्म को अबाध मानने,प्रचार,आदि की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 26 – धार्मिक प्रबंध की स्वतंत्रता का होना |
अनुच्छेद 27 – धर्म की अभिवृद्धि के लिए कार्य करना |
अनुच्छेद 28 – कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा में उपस्थित होने की स्वतंत्रता का होना |
( 5 ) शिक्षा व संस्कृति का अधिकार ( अनुच्छेद 29-30 )
अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण का होना |
अनुच्छेद 30 – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन कने का अल्पसंख्यकों के अधिकार का होना |
( 6 ) संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32 )
अनुच्छेद 32 – मौलिक अधिकारों का हनन होने पर सर्वोच्च न्यायालय में रिट दायर की जा सकती है |
1 बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस )
2 परमादेश ( मेंडामस )
3 प्रतिषेध (प्रोहिबिसन )
4 उत्प्रेषण ( सरसियोरेरी
5 अधिकार प्रच्छा ( क्यू वारेंटों )
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय में मौलिक अधिकारों का हनन होने पर रिट दायर की जा सकती है |
- भारतीय संसद ने छुआछूत (अपराध )अधिनियम 1955 में पारित किया गया था
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत “प्रेस की स्वतंत्रता” का उल्लेख किया गया है |
- सर्व प्रथम निवारक निरोध अधिनियम 1950 में पारित किया गया था |
- मौलिक अधिकारों को “संविधान की चेतना” पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था |
- स्वतत्रता में “प्रेस की स्वतंत्रता “भी शामिल है | यह निर्णय सर्वोच्च न्यायाय ने “साकल पेपर्स लिमिटेड बनाम भारत संघ में दिया था “|
- संपति का अधिकार अब “कानूनी अधिकार है” भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300 ( क ) में |
- 44 वें संविधान संशोधन(1978) के तहत अनुच्छेद 359 में संशोधन किया गया है ,अब भारत के राष्ट्रपति आपातकाल में भी अनुच्छेद 21 को निलंबित नहीं कर सकता है |
- भारत में प्रेस की स्वतत्रता को मान्यता देने के लिए प्रथम प्रेस आयोग द्वारा 1954 में प्रेस परिषद के गठन के लिए दिए गए सुझाव पर “1966 में प्रेस परिषद” का गठन किया गया था | इस प्रेस परिषद में 1 अध्यक्ष और 28 सदस्य होते है |
- अनुच्छेद 19 के तहत 6 प्रकार की स्वतत्रता का उल्लेख किया गया है , लेकिन इन पर उक्तिसंगत प्रतिबंध भी आवश्यक होने पर लगाया जा सकता है –
1 वाक और अभिव्यक्ति की स्वतत्रता – (19-1क )
( इसमे प्रेस और सूचना का अधिकार भी शामिल है )
( इसमे प्रेस और सूचना का अधिकार भी शामिल है )
2 शांतिपूर्ण सम्मेलन की स्वतत्रता (19 – 1 ख )
3 संघ बनाने की स्वतत्रता (19 – 1 ग )
4 भारत में कहीं पर भी घूमने की स्वतत्रता (19 – 1 घ )
5 भारत में कहीं भी बस जाने या निवास की स्वतत्रता ( 19 – 1 ड़ )
6 भारत में व्यापार या कारोबार करने की स्वतत्रता (19 – 1 छ )
प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टी से बहुत अच्छी सामग्री है
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