भारतीय संसदीय समितियाँ : परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण सामग्री
मुख्य रूप से संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती है –
(1) स्थायी समितियाँ (2) तदर्थ समितियाँ |
- दुनियाँ में सबसे पहले संसदीय समितियों का प्रादुर्भाव "इंग्लैंड" में हुआ था |
- भारत में संसदीय समितियों का प्रादुर्भाव प्राचीन काल में ही हो गया था , लेकिन आधुनिक काल में इन्हें "मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड" सुधारों में देखने को मिलता है |
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 118 (1) के तहत दोनों सदनों द्वारा निर्मित नियमों के उपबंधों द्वारा विनियमित होती है|
- लोक लेखा समिति :- भारतीय संसदीय समितियों में लोक लेखा समिति महत्वपूर्ण समिति है |
- लोक लेखा समिति में कुल 22 सदस्य होते है|
- इसमे लोक सभा सदस्यों द्वारा 15 सदस्य और राज्य सभा द्वारा 7 सदस्य चुने जाते है |
- इस समिति को “प्राक्कलन समिति की जुड़वां बहन” भी कहा जाता है |
- इस समिति का अध्यक्ष विपक्ष के सदस्य को नियुक्त जाता है |
- यह प्रथा 1967 से चली आ रही है |
- इस समिति का मुख्य कार्य नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट का परीक्षण करना है | तथा लेखाओं की जाँच करना |
- प्राक्कलन समिति :- भारतीय संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण समिति है |
- इस समिति मे लोक सभा के 30 सदस्य होते है |
- इस समिति के सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा किया जाता है |
- राज्य सभा के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है |
- इस समिति का मुख्य काम सरकारी अपव्यय को रोकना है |
- इसलिए इसे “स्थायी मितव्ययता समिति” कहा जाता है |
- सरकारी उपक्रम संबंधी समिति :- भारतीय संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण समिति है
- इस समिति में 22 सदस्य होते है |
- इसमे लोक सभा से 15 सदस्य और राज्य सभा से 7 सदस्य चुने जाते है |
- समिति के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सदस्यों मे से ही किया जाता है |
- मुख्य काम सरकारी उपक्रमों की स्वायत्ता और कार्यकुशलता की रूप में जाँच करना तथा प्रतिवेदनों की जाँच करना |
- कार्य मंत्रणा समितियाँ :- भारतीय संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण समिति है |
- भारतीय संसद के दोनों सदनों में अलग अलग कार्य मंत्रणा समितियाँ होती है |
- लोकसभा में इस समिति में अध्यक्ष समेत 15 सदस्य होते है तथा राज्य सभा में सभापति व उपसभापति समेत 11 सदस्य होते है |
- गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों और संकल्पों से संबंधी समिति
- इस समिति का गठन लोकसभा में किया जाता है तथा 15 सदस्य होते है |
- लोकसभा का उपाध्यक्ष इस समिति का अध्यक्ष होता है |
- याचिका समितियाँ :-
- संसद के दोनों सदनों में याचिका समितियों का गठन किया जाता है |
- लोकसभा में याचिका समिति में 15 सदस्य होते है
- जबकि राज्य सभा याचिका समिति में 10 सदस्य होते है |
- विशेषाधिकार समितियाँ :-
- संसद के दोनों सदनों में विशेषाधिकार समितियों का गठन किया जाता है |
- लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा 15 सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है
- जबकि राज्य सभा में सभापति द्वारा 10 सदस्यीय समिति का गठन किया जाता है |
- सरकारी आश्वासन समिति :-
- इस प्रकार की समितियों का गठन सर्वप्रथम 1953 में की गई थी |
- लोकसभा में इस समिति में 15 सदस्य होते है |
- जबकि राज्य सभा में इस प्रकार की समिति में 10 सदस्य होते है |
- अनुसूचित जाति व जनजाति कल्याण समिति :-
- अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति में कुल 30 सदस्य होते है |
- इसमे लोकसभा से 20 सदस्य होते है |
- राज्यसभा से 10 सदस्य अलग अलग सदनों से निर्वाचित किए जाते है |
- नवीन समितियों का गठन :- भारतीय संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण समिति है |
- लोकसभा की नियम समिति द्वारा 1991 की सिफ़ारिशों के आधार पर 17 संसदीय समितियों का गठन किया गया था |
- इन समितियों का उद्दघाटन तत्कालीन उपराष्ट्रपति के आर नारायण द्वारा 1993 किया गया था |
- इन समितियों में प्रत्येक समिति में 45 सदस्य होते है जिनमे से 30 लोकसभा से और 15 राज्य सभा से मनोनीत किया जाता है |
- राजनीतिक दलों की सदस्य संख्या के अनुपात में इनका मनोनयन होता है | समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति पीठासीन अधिकारी करता है |
- सामान्य प्रयोजन समिति :-
- संसद में दोनों सदनों की अलग अलग समितियाँ होती है |
- लोकसभा की समिति में लोकसभा अध्यक्ष समिति का अध्यक्ष होता है और राज्य सभा समिति में सभापति समिति का अध्यक्ष होता है |
- सर्वप्रथम 1954 में इनका गठन किया गया था |
- आवास समिति :- संसद के दोनों सदनों की समितियों में 12-12 सदस्य होते है |
- ग्रंथालय समिति :- समिति होती है जिसमे लोकसभा से अध्यक्ष द्वारा 6 सदस्य और राज्य सभा सभापति द्वारा 3 सदस्य मनोनीत कर सकते है |
- वेतन - भत्तों संबंधी समिति :- इस समिति का गठन (1954 वेतन भत्ता अधिनियम ) के तहत की जाति है | यह समिति संयुक्त समिति होती है जिसमे लोकसभा से 10 सदस्य और राज्य सभा से 5 सदस्य होते है |
- सभा पटल पर रखे पत्रों संबंधी समिति :- भारतीय संसदीय समितियों में इस समिति का गठन दोनों सदनों में किया जाता है, जिसमे लोकसभा में इस समिति में 15 सदस्य होते है और राज्य सभा समिति में 10 सदस्य होते है | इस समिति का गठन सर्वप्रथम 1975 में प्रारम्भ होता है |
- सभा की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति :- संसद का कोई सदस्य बिना बताए 60 दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो सदन उसका स्थान रिक्त कर सकता है | इसके लिए यह कम राज्य सभा स्वयं करती है, जबकि लोकसभा में यह कम समिति करती है | इस समिति में कुल 15 सदस्य होते है |
- तदर्थ समितियाँ :- संसद में तदर्थ समितियों को मुख्यत: दो भागों में बांटाजा सकता है |
- प्रवर समिति या संयुक्त प्रवर समिति :- प्रवर समितियाँ विधेयक की समीक्षा के लिए दोनों सदनो की अलग अलग संसदीय समितियों का गठन किया जाता है | इनकी सदस्य संख्या 30-30 होती है | जबकि संयुक्त प्रवर समिति में दोनों सदनो के 45 सदस्य होते है जिसमे लोकसभा से 30 सदस्य और राज्य सभा से 15 सदस्य होते है |
- किसी विशिष्ट मामले की जाँच करने और प्रतिवेदन देने के लिए समिति :- यदि समिति दोनों सदनों की संयुक्त रूप से बनती है तो इसमे 45 सदस्य होते है जिसमे लोकसभा के 30 सदस्य और राज्य सभा के 15 सदस्य होते है | लेकिन अलग अलग संसदीय समितियाँ हो तो 30-30 सदस्य होते है |
Excellent exam
ReplyDeletematter
Very useful matter
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद
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