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वैश्वीकरण / भूमंडलीकरण -राजनीति विज्ञान कक्षा-12 एनसीईआरटी समाधान NCERT Solutions for Class - 12 राजनीति विज्ञान - I Hindi Medium Chapter 9. वैश्वीकरण ( Part - I ) से संबन्धित महत्वपूर्ण सामग्री

वैश्वीकरण : परीक्षा उपयोगी अध्ययन 




वैश्वीकरण का अर्थ :- 

वैश्वीकरण शब्द के रूप में ही भूमंडलीकरण,या जगतिकरण  शब्द का प्रयोग किया जाता है| जिसे आज अंग्रेजी में “ग्लोबलाइजेशन”  कहते है | साधारण शब्दों में वैश्वीकरण का तात्पर्य है-किसी वस्तु, विचार , पूँजी, या लोगों की आवाजाही का आसान होना | वर्तमान वैश्वीकरण शब्द समूचे मानव सभ्यता के साथ बद्ध, आबद्ध और संबद्ध हो चुका है | चाहे वह साहित्य हो, शिक्षा हो,या कोई अन्य क्षेत्र |

  • इस प्रकार शाब्दिक अर्थ है –प्रवाह या पूरे विश्व का एकीकरण | जो की बहुआयामी अवधारण बन चुकी है जैसे- आर्थिक,राजनीतिक,सांस्कृतिक,गतिविधियाँ जहाँ बिना किसी बंधन के एक देश दूसरे देश तक वस्तु,सेवा,उत्त्पाद,विचार,मूल्य,पूँजी आदि का आपस में साझा व्यवहार और आदान-प्रदान होता है |
  • मैक्डोनाल्डीकरण :- दुनियाँ की संस्कृतियों पर अमरीकी संस्कृति की छाप को ही मैक्डोनाल्डीकरण कहा जाता है |
  • WSF :- वर्ल्ड सोशल फोरम –विश्व सामाजिक मंच , इस मंच में मानवाधिकार कार्यकर्ता ,पर्यावरणकारी, मजदूर ,युवा वर्ग ,महिला कार्यकर्ता आदि एकजुट होकर वैश्वीकरण का विरोध करते है | इसकी पहली बैठक 2001 में ब्राज़ील में हुई थी | चौथी बैठक मुंबई भारत में 2004 में हुई थी जबकि सातवीं बैठक 2007 में केन्या में हुई थी |
  • FDI :- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश |
  • संरक्षणवाद :- अर्थात ऐसी विचारधारा जो उदारीकरण,वैश्वीकरण का विरोध करती है|और देशी उधोगों व उत्पादित वस्तुओं को विदेशी प्रतियोगिता से बचाने के लिए कई प्रकार के कर लगाती है |

वैश्वीकरण की अवधारणा के प्रमुख कारण : –

I. इस अवधारणा के किए सबसे महत्वपूर्ण कारक जो जिम्मेदार है वो है – प्रौधोगिकी |
II. विचार,पूँजी,वस्तु,लोगों की आवाजाही आदि की आसानी प्रौधोगिकी के कारण ही संभव हुआ है
III. वैश्विक समस्याओं ने भी एक दूसरे को पास आने में भूमिका अदा की है |
IV. आर्थिक कारक का महत्व बढ़ना |
V. विकास की चाहत का बढ़ना |
VI. राष्ट्रों की पारस्परिक निर्भरता का बढ़ना |
VII. बहुराष्ट्रीय कंपनियों में वृद्धि होना |

वैश्वीकरण की अवधारणा : प्रमुख विशेषताएँ :-

I. वैश्विक स्तर पर पूंजी,श्रम,वस्तु,सेवा,विचारों,सूचना,प्रौधोगिकी आदि का प्रवाह का होना |
II. आर्थिक व्यवस्था का खुलापन होना |
III. राष्ट्रों मे मध्य जुड़ाव और खुलापन का होना |
IV. वैश्विक समस्याओं पर साझा रणनीतियों का होना |
V. बहुआयामी होनें के कारण पारस्परिक जुड़ाव का होना |

वैश्वीकरण के प्रभाव :- आज वैश्वीकरण की अवधारणा अपना बहुआयामी रूप धारण किए हुए है,जिसे मोटे तौर पर तीन भागों में देखा जा सकता है |-

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव :-

वैश्वीकरण के कारण राज्य की भूमिका में कमी आई है |
लोक-कल्याण का स्थान राज्य का न्यूनतम हस्तक्षेप का होना |
लोगों के कल्याण की जगह अब बाजारआर्थिक,सामाजिक प्राथमिकताओं का निर्धारक होना |
प्रौधोगिकी के कारण राज्य ज्यादा मजबूत हुए ,और लोगों के लिए ज्यादा सूचना जुटासकतें है |
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव :-

वैश्वीकरण के कारण आयात प्रतिबंधों में कमी होना |
वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में विकसित,प्रभावशाली देशों का प्र्भुत्व बढ़ाना ( विश्व                          बेंक,अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष,विश्व व्यापार संगठन आदि )
वैश्वीकरण के कारण पूँजी के प्रवाह से बड़े देशों को ज्यादा फायदा होना |
वैश्वीकरण के कारण विकसित देशों की आवाजाही पर प्रतिबंद का लगाना |
वैश्वीकरण के कारण सामाजिक सरोकारो से मुँह मोड़ना |( सामाजिक सुरक्षा कवच जरूरी है )
वैश्वीकरण के कारण आर्थिक असमानता का बढ़ना |
वैश्वीकरण के कारण आर्थिक वैश्वीकरण से एक छोटे तबके को ही फायदा,जबकि                                              नौकरी,जनकल्याण,शिक्षा,स्वास्थ्य,सफाई आदि के लिए सरकार पर निर्भर लोगों की हालत आज भी                    बदहाल है |
वैश्वीकरण के कारण हालांकि पारस्परिक निर्भरता के कारण वैश्विक स्तर पर सरकार,व्यवसाय,तथा लोगों            के बीच जुड़ाव बढ़ा है |

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव :-

वैश्वीकरण के कारण सांस्कृतिक समरूपता के कारण पश्चिमी संस्कृतियों को बढ़ावा |
वैश्वीकरण के कारण खान-पान और पहनावे के विकल्प बढ़ना |
वैश्वीकरण के कारण अधिकतम लोगों को सांस्कृतिक परिवर्तन के कारण दुविधा का होना |
वैश्वीकरण के कारण मूल संस्कृतियों पर कुठराघात होना |
वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी संस्कृति को अन्य संस्कृतियों पर लादना |
वैश्वीकरण के कारण हर संस्कृति अलग और विशिष्ट होती जा रही है |

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव :- 1991 में वित्तीय संकट से उबरने और आर्थिक विकास वृद्धि दर को हासिल करने के लिए भारत ने वैश्वीकरण,उदारीकरण,निजीकरण अर्थात LPG की अवधारणा को अपनाया था | वैश्वीकरण का सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह का प्रभाव पड़ा है |

वैश्वीकरण का भारत पर सकारात्मक प्रभाव :-
वैश्वीकरण के कारण उत्पादों की नवीन किस्मों का प्राप्त होना |
वैश्वीकरण के कारण आधारभूत ढाँचे में बदलाव होना |
वैश्वीकरण के कारण भारतीय कंपनियों में वृद्धि होना |
वैश्वीकरण के कारण सेवा क्षेत्रों में वृद्धि होना ( सूचना क्रांति के कारण )
वैश्वीकरण के कारण विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना |
वैश्वीकरण के कारण दक्षता और उत्पादकता में वृद्धि का होना |
वैश्वीकरण के कारण तकनीक और पूँजी का विकास |
वैश्वीकरण के कारण निर्यात में वृद्धि का होना |
वैश्वीकरण के कारण देशों के मध्य दूरी का कम होना |
वैश्वीकरण के कारण आधुनिकता का मार्ग प्रशस्त होना |
वैश्वीकरण के कारण विश्व व्यापार में भागीदारी का बढ़ना |

वैश्वीकरण का भारत पर नकारात्मक प्रभाव :-

वैश्वीकरण के कारण श्रमिकों का शोषण आज भी बरकरार |
कृषि के तौर तरीकों में बदलाव के कारण किसान की स्थिति आज दयनीय स्तर पर पहुँच गई है |
वैश्वीकरण के कारण दुनियाँ के मध्य गरीब–अमीर की खाई का बढ़ना |
लघु उधोगों या देशी कंपनियों की माली हालत होना |
अत्यधिक प्रतिस्पर्धा व रोजगार का स्थायी न होना |
वैश्वीकरण के कारण राज्यों की क्षमता में कमी का आना |
आर्थिक ,राजनीतिक , सांस्कृतिक प्रभावों का बढ़ाना |
देश का पूंजीवाद और उपभोक्ता वाद की तरफ बढ़ना |
वैश्वीकरण के कारण लोक कल्याण की भावना नष्ट होना |
वैश्वीकरण के कारण शिक्षा प्रणाली का पश्चिमीकरण की तरफ बढ़ना |
वैश्वीकरण के कारण आदिवासियों की हालात बदतर होना -जल,जमीन,जंगल |
महिला सशक्तिकरण के बावजूद बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने महिला को प्रदर्शनी की वस्तु बना दिया जो की                चिंता जनक है |
पश्चिमीकरण के कारण समाज पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ता जा रहा है |

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