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NCERT Books Solutions for राजनीति विज्ञान - राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त तथा मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्वों में अंतर - परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण बिन्दु



राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त - परीक्षा उपयोगी अध्ययन





  • भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांतों का महत्वपूर्ण स्थान है | राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में संविधान और सामाजिक,आर्थिक,राजनीतिक न्याय के दर्शन निहित है | अर्थात नीति निदेशक सिद्धांतों के लक्ष्यों का अनुपालन करना राज्य का कर्तव्य है | 
  • भारतीय संविधान के भाग -4 में अनुच्छेद 36 से 51 तक नीति निर्देशक सिद्धांतों का वर्णन किया गया है| राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त “ आयरलैंड “ से लिए गए है |
  • डॉ. भीम राव अंबेडकर ने “नीति निर्देशक सिद्धांतों को भारतीय संविधान की अनूठी विशेषता कहा है “|
  • नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अपरिवर्तनीय  है, क्योंकि निर्देशक सिद्धांतो में दिए उपबंधों के लिए न्यायालय में नहीं जा सकते |
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 कहता है कि “ निदेशक तत्व देश के शासन के मूलाधार है और निश्चय ही विधि बनाने में इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा “|
  • नीति निर्देशक तत्व : एक नजर :-   


क्र.सं.
अनुच्छेद
मुख्य विवरण
वर्गिकरण
01
अनुच्छेद 36
इस अनुच्छेद में “राज्य “ की परिभाषा दी गयी है  (भारत सरकार और भारत सरकार के अधीन सभी प्राधिकारी ) |
-
02
अनुच्छेद 37
न्यायालय में प्रवर्तनीय न होने के बावजूद भी विधि में इनको लागू करना राज्य का दायित्व |
-
03
अनुच्छेद 38
राज्य लोक कल्याण की उन्नति के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
04
अनुच्छेद 38 (खंड 2 )
44 वां संविधान संशोधन (1978) द्वारा यह उपबंध जोड़ा कि”राज्य आय कि असमानताओं को कम करने का प्रयास करेगा “|
आर्थिक न्याय
05
अनुच्छेद 39
राज्य द्वारा कुछ अनुकरणीय तत्व |
आर्थिक न्याय
06
अनुच्छेद 39
समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
07
अनुच्छेद 40
ग्राम पंचायतों का गठन |
शासन सुधार
08
अनुच्छेद 41
कुछ दशाओं में काम,शिक्षा ,लोक सहायता पाने का अधिकार |
आर्थिक न्याय
09
अनुच्छेद 42
काम की न्याय संगत और मनोवांछित दशाओं और प्रसूति सहायता पाने का अधिकार |
आर्थिक न्याय
10
अनुच्छेद 43
कर्म कारों के लिए निर्वाह मजदूरी के लिए राज्य प्रयास करेगा |
आर्थिक न्याय
11
अनुच्छेद 44
नागरिकों के लिए समान सिविल संहिता का प्रयास करेगा |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
12
अनुच्छेद 45
बालकों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध करना | ( 86 वां संविधान संशोधन 2002 द्वारा अनुच्छेद 21 क में 6-14 वर्ष के बालकों के लिए निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया था |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
13
अनुच्छेद 46
अनुसूचित जाति व जन जाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों  की संरक्षा का प्रयास करना |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
14
अनुच्छेद 47
पोषाहार स्तर ,जीवन स्तर,एवं लोक स्वास्थ्य स्तर के सुधार के लिए प्रयास करना |
सामाजिक न्याय व शिक्षा
15
अनुच्छेद 48
कृषि और पशुपालन के लिए राज्य आधुनिक तथा वैज्ञानिक प्रयास करेगा |
आर्थिक न्याय
16
अनुच्छेद 48
पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन और वन्य जीवों की रक्षा हेतु प्रयास करेगा |
शासन सुधार
17
अनुच्छेद 49
राष्ट्रीय स्तर के स्मारकों , स्थानो और वस्तुओं का संरक्षण का प्रयास करना |
शासन सुधार
18
अनुच्छेद 50
कार्यपालिका का न्यायपालिका से पृथक्करण के लिए कदम उठाना |
शासन सुधार
19
अनुच्छेद 51
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा ,अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के प्रति आदर राष्ट्रों के मध्य न्याय संगत संबंधों की स्थापना आदि का प्रयास करेगा |
अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा

मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक सिद्धांतों में अंतर :-

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और नीति निर्देशक तत्व दोनों ही महत्वपूर्ण है | क्योंकि दोनों का ही मकसद राष्ट्र राज्य और व्यक्तियों का अधिकाधिक कल्याण करना है | भारतीय संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 12 से 30 और 32 से 35 तक मौलिक अधिकार तथा भाग 4 के अनुच्छेद 36 से 51 तक नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन किया गया है |

क्र.सं.
मौलिक अधिकार
नीति निर्देशक तत्व
01
मौलिक अधिकार सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही है |
नीति निर्देशक तत्व सकारात्मक है |
02
मौलिक अधिकारों का हनन होने पर न्यायपालिका मे जा सकते है और न्याय प सकते है |
नीति निर्देशक तत्वों का उल्लंघन होने पर न्यायालय में नहीं जा सकते है |
03
मौलिक अधिकारों से राष्ट्र-राज्य में राजनीतिक लोकतंत्र की स्थापना होती है |
नीति निर्देशक सिद्धांतों से राज्य में सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना होती है |
04
मौलिक अधिकारों के साथ कानूनी प्रतिबंध भी जुड़े होते है |
नीति निर्देशक सिद्धांतों के साथ कानूनी और राजनीतिक प्रतिबंध होते है |
05
मौलिक अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक होते है |
नीति निर्देशक तत्व सामाजिक कल्याण के लिए अति महत्वपूर्ण होते है |
06
मौलिक अधिकार स्वत: लागू होते है |
नीति निर्देशक तत्व स्वत: लागू नहीं होते है |
07
मौलिक अधिकारों को संविधान के विरुद्ध होने पर न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगाया जा सकता है |
नीति निर्देशक तत्व को संविधान के विरुद्ध होने पर न्यायालय द्वारा प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है | यधपी कुछ अपवाद में लगाया जा सकता है |
08
मौलिक आधिकरों का निलंबन या स्थगित किया जा सकता है |
नीति निदेशक  तत्वों  का निलंबन या स्थगित किया जा सकता है |
09
मौलिक आधिकरों में राज्य तथा नागरिक संबंधो पर बल दिया गया है
नीति निदेशक सिद्धांतों में राज्य तथा नागरिक संबंधो के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों पर भी बल दिया गया है |
10
मौलिक अधिकारो को लागू करने की बाध्यता है |
नीति निदेशक सिद्धांतों को लागू करने की राज्यो की बाध्यता नहीं है |

  •     के टी शाह के अनुसार “ राज्य के नीति निदेशक तत्व एक चेक है जिसकी अदायगी बैंकों के सुविधानुसार होगी “|


  •     नीति निदेशक सिद्धांतों का महत्व अनेक बिन्दुओं में परिलक्षित होता है – 

1.     नीति निदेशक तत्वों को लागू कराने के पीछे “ जनमत “ की शक्ति होती है |
2.     नीति निदेशक तत्व निश्चय ही हमारी सामाजिक और आर्थिक क्रांति के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाते है |
3.     नैतिक आदर्शों और शासन संचालन के रूप मे मार्गदर्शक की भूमिका अदा करते है |
4.     संविधान के निर्वचन में सहायक की भूमिका अदा करना |
5.     मौलिक आधिकरों की तरह ही नीति निदेशक सिद्धन हमारे लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |




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2 comments:

  1. बहुत अच्छा मेटर है परीक्षा की दृष्टि से बहुत अच्छा है

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